आम आदमी की किडनी (व्यंग्य)

वैसे तो सभी अंग शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन किडनी को इतना तवज्जो क्यूँ देते हैं हम? शायद इसीलिए कि वह हमें आसानी से मिलती नहीं और मिलती भी है तो इतनी महंगी की सुनकर हार्ट फेल हो जाये! किडनी और कीमती के शब्दों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है. किडनी तो इतनी कीमती है कि बङे पैमाने पर इसकी तस्करी होने लगी हैं. खबरों में तो पढा ही होगा कि ‘आज सैकड़ों किडनी के साथ दो लोग गिरफ्तार’. अब आप सोच रहे होंगे कि एक आदमी के पास दो ही किडनी होती है तो फिर दो लोगों के पास सैकङो कैसे? आपने शायद रन फिल्म देखी ही होगी! अरे, हाँ वही छोटी गंगा और कौआ बिरयानी वाली. जिसमें धोखा से कलाकार विजय राज की किडनी निकाल लेते हैं. ठीक वैसे ही आम लाचार आदमी की किडनी निकाल कर बेच दी जाती है. अब आप बोलेंगे की गरीबों की किडनी क्यों निकाली जाती है? क्योंकि किडनी दो होती है तो गरीब एक से ही एडजस्ट कर लेगा और दुसरी बात यह है कि किडनी निकालने के बाद उसे कभी पता नहीं चल सकता है. अगर किडनी के कमी के कारण कभी पेट में दर्द हुआ भी तो वह बस एक दो चार रूपये की पेट दर्द की दवा से काम चला लेगा क्योंकि आज कल के गरीब लोगों के बस की बात नहीं है 500 फी , 2000 जांच, 1000 दवा और 800 का अल्ट्रासाउंड कराने का और बाकी तो किडनी चोरी की वारदात से जांच कराना चाहते ही नहीं. लेकिन अब आज कल के गरीब फेसबुक और इन्टरनेट चलाने लगे हैं. मेरे गांव के तो रिक्शा, ठेला चलाने वाले भी अपना ग्रुप बना रखे हैं सोशल मीडिया पर, लगता है कि डिजिटल इण्डिया का हवा लग गया है. इनके बच्चों ने तो धूम मचा रखी है सोशल मीडिया पर और भोजपुरी स्टारों को सबसे ज्यादा शेयर, लाइक यही दे रहे हैं. खैर! छोङिये यह बात लेकिन उस दिन तो मैं हक्का बक्का रह गया पलटन बैठा के लङके राघो का फेसबुक पोस्ट देख कर. उसने लिखा था कि मैं अपने किडनी को बेचना चाहता हूं लेकिन पोस्ट को न कोई लाइक मिला था और न ही कमेंट्स तो भला खरीदता कौन है. कुछ दिनों बाद एक फेसबुक मित्र उसे कमेंट किया ‘ओ लल्लू उसे ओलेक्स पर बेच दे’ और उसने जवाब दिया था कि ‘पहले तो ओलेक्स पर ही डाला था लेकिन वहां से विफल होने के बाद फेसबुक की लोकप्रियता देखकर यहां पर डाला हूँ’. मैं पढ कर सोच ही रहा था कि तभी एक नोटिफिकेशन ने मुझे जगाया तो देखा कि किसी ने पोस्ट शेयर किया है और कैप्शन दिया है कि ‘आम आदमी की किडनी हैं, खरीददार तो छोङो कोई खबर लेने वाला भी नहीं है कि भाई बेच क्यूँ रहा है?’

शैलेन्द्र भारती【कुन्दन कुमार सुमन】

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