सिर्फ चीन का ही विरोध क्यों ?

आज चीनी वस्तुओं का बहिष्कार हो रहा है, जो अच्छी बात है. लेकिन, दुविधा इस बात की है कि जो हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा देते थे, वही आज विरोध कर रहे हैं. ये तो हुई चीन का बात. आज हम जापान को खुली छुट दिये हुए हैं कि मेरे यहां उधोग गाओ. रेलवे में जापान का साथ लेते हैं. वह भारत में खरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. जिस तरह कि छुट जापान को मिल रही है, बिल्कुल इसी तरह की छुट तो चीन को भी दिया गया था? परिणाम सामने है. क्या जापान अपना रंग नहीं बदलेगा? क्या जापान भारतीये अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचने कि कोशिश नहीं करेगा? जहां तक मैं समझता हूँ, वह भी चीन कि तरह ही काम करेगा. अगर चीन हमारा दुश्मन है, तो जापान, अमेरिका, कोरिया, नेपाल इत्यादि देशों भी विश्वस नहीं किया जा सकता. रही बात पाकिस्तान के समर्थन कि, तो अमेरिका भी पाक का सहयोगी है. नेपाल भी पाक आतंकियों को अपने यहां से सुरक्षित रास्ता मुहैया कराता है?                                                                                                       By:- शैलेन्द्र भारती(कुन्दन कुमार सुमन)

 

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