ये रिश्ता है कितना प्यारा

एक पड़ोसन दिल को भाति,
छत के ऊपर कपड़ा सूखती ।
मुझे देख वो मुस्काती ,
रूप है गोरी कमर कटीली ।
आँख है उसकी नीली नीली,
उसने एक दिन मुझे बुलाई।
बड़े प्यार से घर में बैठाई ,
उसने मेरे हाथ को पकड़ा ।
ख़त्म हो गया सारा लफड़ा ,
धागा बांध बोला भैया ।
ये रिश्ता है कितना  प्यारा।
भारती

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